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जीवन में कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो - सामूहिक गीत | jivan me kuch karna hai to man ke maare mat baitho - Samuhik geet

प्रेरणा गीत / सामूहिक गीत जीवन में कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो । आगे-आगे बढ़ना है तो, हिम्मत हारे मत बैठो ॥ चलने वाला मंजिल पाता, बैठा पीछे रहता है । ठहरा पानी सड़ने लगता, बहता निर्मल होता है पाँव मिले हैं चलने के खातिर, पाँव पसारे मत बैठो जीवन में कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो । आगे-आगे बढ़ना है तो, हिम्मत हारे मत बैठो ॥ तेज दौड़ने वाला खरहा, दो पाँव चलकर हार गया । धीरे-धीरे चलता कछुआ, देखो बाजी मार गया चलो कदम से कदम मिलाकर, दूर किनारे मत बैठो  आगे-आगे बढ़ना है तो, हिम्मत हारे मत बैठो ॥ धरती चलती तारे चलते, चाँद रात भर चलता है । किरणों का उपहार बांटने, सूरज रोज निकलता है हवा चले तो महक बिखरे, तुम भी ठाले मत बैठो आगे-आगे बढ़ना है तो, हिम्मत हारे मत बैठो ॥ जीवन में कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो । आगे-आगे बढ़ना है तो, हिम्मत हारे मत बैठो ॥

आसरा इस जहां का मिले न मिले लिरिक्स | Aasra es jahan ka mile na mile lyrics

आसरा इस जहाँ का मिले ना मिले। मुझको तेरा सहारा सदा चाहिये॥ चाँद तारे गगन में दिखे ना दिखे। मुझको तेरा नजारा सदा चाहिये॥ आसरा इस जहाँ का मिले ना मिले। मुझको तेरा सहारा सदा चाहिये॥ यहाँ खुशियों हैं कम और ज्यादा है गम। जहाँ देखो वहीं है, भरम ही भरम॥ मेरी महफिल में शमां जले ना जले। मेरे दिल में उजाला तेरा चाहिये॥ आसरा इस जहाँ का मिले ना मिले। मुझको तेरा सहारा सदा चाहिये॥ कभी वैराग है, कभी अनुराग है। यहाँ बदले है माली, वही बाग़ है॥ मेरी चाहत की दुनिया बसे ना बसे। मेरे दिल में बसेरा सदा चाहिये॥ आसरा इस जहाँ का मिले ना मिले। मुझको तेरा सहारा सदा चाहिये॥ मेरी धीमी है चाल और पथ है विशाल। हर कदम पर मुसीबत, अब तू ही संभाल॥ पैर मेरे थके हैं, चले ना चले। मेरे दिल में इशारा तेरा चाहिये॥ आसरा इस जहाँ का मिले ना मिले। मुझको तेरा सहारा सदा चाहिये॥ चाँद तारे फलक पर (गगन में) दिखे ना दिखे। मुझको तेरा नजारा सदा चाहिये॥ आसरा इस जहाँ का मिले ना मिले। मुझको तेरा सहारा सदा चाहिये॥

किसी के काम जो आए उसे इंसान कहते हैं - प्रेरणा गीत / सामूहिक गीत | kisi ke kaam jo aaye use insan kehte hai - samuhik geet

प्रेरणा गीत / सामूहिक गीत किसी के काम जो आए उसे इंसान कहते हैं । पराया दर्द अपनाए उसे इंसान कहते हैं । कभी धनवान है कितना कभी इंसान निर्धन हैं । कभी दुःख है कभी सुख है इसी का नाम जीवन हैं । जो मुश्किल से न घबराए उसे इंसान कहते हैं । पराया दर्द........... ये दुनिया एक उलझन है, कहीं धोखा कहीं ठोकर । कोई हँस-हँस के जीता है कोई जीता है रो-रोकर । जो गिरकर फिर संभल जाए उसे इंसान कहते हैं। पराया दर्द......... अगर गलती रुलाती है तो राहें भी दिखाती हैं। मनुज गलती का पुतला है जो अक्सर हो ही जाती है। जो करले ठीक गलती को उसे इंसान कहते हैं । पराया दर्द ......... यों भरने को तो दुनिया में पशु भी पेट भरते हैं । लिए इंसान का दिल जो वे ही परमार्थ करते हैं । मनुज जो बांटकर खाए उसे इंसान कहते हैं । पराया दर्द ............