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जीवन में कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो - सामूहिक गीत | jivan me kuch karna hai to man ke maare mat baitho - Samuhik geet

प्रेरणा गीत / सामूहिक गीत

जीवन में कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो ।

आगे-आगे बढ़ना है तो, हिम्मत हारे मत बैठो ॥


चलने वाला मंजिल पाता, बैठा पीछे रहता है ।

ठहरा पानी सड़ने लगता, बहता निर्मल होता है

पाँव मिले हैं चलने के खातिर, पाँव पसारे मत बैठो

जीवन में कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो ।


आगे-आगे बढ़ना है तो, हिम्मत हारे मत बैठो ॥


तेज दौड़ने वाला खरहा, दो पाँव चलकर हार गया ।

धीरे-धीरे चलता कछुआ, देखो बाजी मार गया

चलो कदम से कदम मिलाकर, दूर किनारे मत बैठो 

आगे-आगे बढ़ना है तो, हिम्मत हारे मत बैठो ॥


धरती चलती तारे चलते, चाँद रात भर चलता है ।

किरणों का उपहार बांटने, सूरज रोज निकलता है

हवा चले तो महक बिखरे, तुम भी ठाले मत बैठो

आगे-आगे बढ़ना है तो, हिम्मत हारे मत बैठो ॥


जीवन में कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो ।

आगे-आगे बढ़ना है तो, हिम्मत हारे मत बैठो ॥

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