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हिंदी दिवस कविता - Hindi divas kavita

क्या दिक्कत है ? हीट को ताप कहने में। यू को आप कहने में। स्टीम को भाप कहने में। फादर को बाप कहने में।  क्या दिक्कत है ? बैड को ख़राब कहने में। वाईन को शराब कहने में।  बुक को किताब कहने में। सॉक्स को ज़ुराब कहने में। क्या दिक्कत है ? डिच को खाई कहने में। आंटी को ताई कहने में। बर्बर को नाई कहने में। कुक को हलवाई कहने में। क्या दिक्कत है ? इनकम को आय कहने में। जस्टिस को न्याय कहने में। एडवाइज़ को राय कहने में।  टी को चाय कहने में।  क्या दिक्कत है ?   फ़्लैग को झंडा कहने में। स्टिक को डंडा कहने में। कोल्ड को ठंडा कहने में। ऐग को अंडा कहने में। क्या दिक्कत है ? बीटिंग को कुटाई कहने में। वॉशिंग को धुलाई कहने में। पेंटिंग को पुताई कहने में। वाइफ को लुगाई कहने में। क्या दिक्कत है ? स्मॉल को छोटी कहने में। फेट को मोटी कहने में। टॉप को चोटी कहने में। ब्रेड को रोटी कहने में। क्या दिक्कत है ? ब्लैक को काला कहने में। लॉक को ताला कहने में। बाउल को प्याला कहने में। जेवलीन को भाला कहने में। क्या दिक्कत है ? गेट को द्वार कहने में। ब्लो

तमन्ना भाटिया की जीवनी हिंदी में | Tamannaah bhatiya biography in Hindi

तमन्ना भाटिया का जन्म 21 दिसंबर 1989 को एक पंजाबी परिवार में मुंबई में हुआ तथा तमन्ना भाटिया को बचपन से ही एक एक्ट्रेस बनने में रुचि था। नाम  - तमन्ना भाटिया निक नाम - टैमी स्किन टोन - फेयर वजन - 55 किलो लम्बाई - 5’5″ आँखो का रंग - भूरा शारीरिक संरचना - 33-27-35 तमन्ना भाटिया का परिवार (Tamanna Bhatia Family) तमन्ना भाटिया के पिता का नाम संतोष भाटिया है तथा इनके पिता हीरों का कारोबार करते है तथा इनकी माँ का नाम रजनी भाटिया है और इनकी माँ एक हाउस वाइफ है। इसके अलावा तमन्ना भाटिया का एक बड़ा भाई भी है तथा इनके भाई का नाम आनंद भाटिया है। तमन्ना भाटिया ने अपने करियर की शुरुआत साल 2005 में तथा 15 साल के उम्र में फिल्म ‘चाँद सा रोशन चेहरा’ से की। लेकिन यह फिल्म दर्शकों को कुछ खास पसंद नहीं आई जिसके कारण यह फिल्म फ़्लॉप साबित हुई। साल 2015 में तमन्ना भाटिया की सबसे बेहतरीन तथा सुपरहिट फिल्म ‘बाहुबली’ रिलीज हुई। एस.एस. राजामौली के निर्देशन में बनी यह फिल्म सुपर डुपर हिट रही और सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म साबित हुई। ‘बाहुबली’ फिल्म के रिलीज होते ही तमन्ना भाटिया एक सुपर स्टार बन

Neeraj Chopra Biography in Hindi - नीरज चोपड़ा की जीवनी हिंदी में

Neeraj Chopra Biography in Hindi : नीरज चोपड़ा भारतीय ट्रैक एंड फिल्ड एथलीट है जो की अपनी कड़ी मेहनत और अपने समर्थकों के अटूट विश्वास से लगातार टोक्यो ओलिंपिक 2021 में भाला फेंक के भारत के लिए गोल्ड मैडल जीता और उसके बाद अब पेरिस ओलोम्पिक 2024 में  भी पदक जीतकर देश का नाम रौशन किया। नीरज चोपड़ा का जन्म 24 दिसम्बर 1997 को हरियाणा के पानीपत जिले के छोटे से गांव खंडरा में हुआ था। आज के इस पोस्ट में हम नीरज चोपड़ा के जीवन के बारे में जानेंगे की एक मध्यम वर्गीय परिवार से आया हुआ लड़का अपने दृढ़ता और कड़ी मेहनत से देश का नाम रौशन कर रहा है। तथा हम जानेंगे की नीरज चोपड़ा कौन है उनका बचपन कैसा रहा उनके परिवार में कौन कौन सदस्य है और जानेंगे की Neeraj Chopra Kon Hai, Neeraj Chopra Biography in Hindi, Paris Olympic 2024 Performance, Neeraj Chopra Career, Neeraj Chopra Major Achievements, Neeraj chopda age, Neeraj chopda net worth, Neeraj chopda height, Neeraj chopda gold medal आदि। नीरज चोपड़ा का जीवन परिचय (Neeraj Chopra Biography in Hindi) Neeraj Chopra Biography in Hindi: नीरज

Hindi kahani - राजा या ईश्वर

एक बार एक राजा था, वह जब भी मन्दिर जाता, तो 2 भिखारी उसके दाएं और बाएं बैठा करते थे। दाईं तरफ़ वाला कहता-'हे ईश्वर, तूने राजा को बहुत कुछ दिया है, मुझे भी दे दे.!' तो बाईं तरफ़ वाला कहता-'ऐ राजा.! ईश्वर ने तुझे बहुत कुछ दिया है, मुझे भी कुछ दे दे.!' दाईं तरफ़ वाला भिखारी बाईं तरफ़ वाले से कहता-ईश्वर से माँग वह सबकी सुनने वाला है। बाईं तरफ़ वाला जवाब देता-'चुप कर मूर्ख। एक दिन राजा ने अपने मंत्री को बुलाया और कहा कि मन्दिर में दाईं तरफ जो भिखारी बैठता है वह हमेशा ईश्वर से मांगता है तो अवश्य ईश्वर उसकी सुनेगा। लेकिन जो बाईं तरफ बैठता है वह हमेशा मुझसे ही मांग करता रहता है, तो तुम ऐसा करो कि एक बड़े से बर्तन में खीर भर के उसमें स्वर्ण मुद्रा डाल दो और वह उसको दे आओ। मंत्री ने ऐसा ही किया। अब वह भिखारी मजे से खीर खाते-खाते दूसरे भिखारी को चिड़ाता हुआ बोला-'हुँह खाते जब बड़ा आया ईश्वर देगा', यह देख राजा से माँगा, मिल गया ना ?' खाते- इसका पेट भर गया तो इसने बची हुई खीर का बर्तन उस दूसरे दिया और कहा-'ले पकड़ तू भी खा ले, मूर्ख' दिन जब राजा आया तो देखा क

Hindi kahani - स्वर्ग और नरक

एक बुजुर्ग औरत मर गई, यमराज लेने आये। औरत ने यमराज से पूछा, आप मुझे स्वर्ग ले जायेगें या नरक। यमराज बोले दोनों में से कहीं नहीं। तुमनें इस जन्म में बहुत ही अच्छे कर्म किये हैं, इसलिये मैं तुम्हें सिधे प्रभु के धाम ले जा रहा हूं। बुजुर्ग औरत खुश हो गई, बोली धन्यवाद, पर मेरी आपसे एक विनती है। मैनें यहां धरती पर सबसे बहुत स्वर्ग - नरक के बारे में सुना है मैं एक बार इन दोनों जगाहो को देखना चाहती हूं। यमराज बोले तुम्हारे कर्म अच्छे हैं, इसलिये मैं तुम्हारी ये इच्छा पूरी करता हूं। चलो हम स्वर्ग और नरक के रास्ते से होते हुए प्रभु के धाम चलेगें। दोनों चल पडें, सबसे पहले नरक आया। नरक में बुजुर्ग औरत ने जो़र जो़र से लोगो के रोने कि आवाज़ सुनी। वहां नरक में सभी लोग दुबले पतले और बीमार दिखाई दे रहे थे। औरत ने एक आदमी से पूछा यहां आप सब लोगों कि ऐसी हालत क्यों है। आदमी बोला तो और कैसी हालत होगी, मरने के बाद जबसे यहां आये हैं, हमने एक दिन भी खाना नहीं खाया। भूख से हमारी आत्माएं तड़प रही हैं बुजुर्ग औरत कि नज़र एक वीशाल पतिले पर पडी़, जो कि लोगों के कद से करीब 300 फूट ऊंचा होगा, उस पतिले के ऊपर एक वी

मनु भाकर की जीवनी - Manu bhakar ki jivni hindi me - Manu bhakar biography in hindi

मनु भाकर की जीवनी - Manu bhakar ki jivni hindi me - Manu bhakar biography in hindi - मनु भाकर की जीवनी और उनसे जुड़े तथ्य यहां जाने : - पेरिस ओलंपिक में भारत की झोली में दो मेडल जीतने वाली भारतीय शूटर मनु भाकर ने इतिहास रच दिया। इतिहास रचने के साथ ही मनु भाकर का नाम लोगों की जुबान पर है। इस कड़ी में हम जानेंगे कि आखिर मनु भाकर कौन हैं और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वह अब तक कितने पदक जीत चुकी हैं। मनु भाकर एक ही ओलंपिक में दो मेडल जीतने वाली पहली भारतीय एथलीट बन गई हैं। इससे पहले किसी भी पुरुष या महिला एथलिट ने एक ही ओलंपिक में दो मेडल नहीं जीते हैं। कौन हैं मनु भाकर मनु भाकर का जन्म 18 फरवरी, 2002 को हरियाणा के झज्जर जिले के गोरिया गांव में हुआ था। इनके पिता मरीन इंजीनियर और मां स्कूल में प्रिंसिपल हैं। भाकर बचपन में स्केटिंग, मुक्केबाजी, एथलेटिक्स और जूडो कराटे भी खेलती थीं।