सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Emma Watson की जीवनी: एक जादुई सफर

एम्मा चार्लोट ड्यूएर वॉटसन (Emma Charlotte Duerre Watson) का जन्म 15 अप्रैल 1990 को पेरिस, फ्रांस में हुआ। उनके माता-पिता, जैकलीन और क्रिस वॉटसन, दोनों वकील थे। पांच साल की उम्र में उनका परिवार इंग्लैंड के ऑक्सफोर्डशायर चला गया, जहां एम्मा ने अपनी शुरुआती पढ़ाई की। छोटी सी उम्र में ही उन्हें एक्टिंग का कीड़ा काट चुका था। स्कूल के नाटकों में हिस्सा लेते-लेते वो हॉगवॉर्ट्स की दुनिया में पहुंच गईं!


हैरी पॉटर और स्टारडम:
9 साल की उम्र में एम्मा ने "हैरी पॉटर" सीरीज में हरमायनी ग्रेंजर का रोल ऑडिशन देकर हासिल किया। 2001 में Harry Potter and the Philosopher’s Stone रिलीज हुई, और बस, दुनिया को मिल गई एक नई चहेती जादूगरनी! अगले एक दशक तक, आठ फिल्मों में हरमायनी के किरदार ने एम्मा को ग्लोबल स्टार बना दिया। उनकी स्मार्टनेस, टैलेंट और वो “It’s LeviOsa, not LeviosA” वाला अंदाज फैंस के दिल में बस गया।


शिक्षा और एक्टिविज्म:
एम्मा सिर्फ एक्टिंग तक सीमित नहीं रहीं। उन्होंने ब्राउन यूनिवर्सिटी और ऑक्सफोर्ड से इंग्लिश लिटरेचर में डिग्री हासिल की। साथ ही, वो एक मुखर फेमिनिस्ट और एक्टिविस्ट हैं। 2014 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के HeForShe कैंपेन को लॉन्च किया, जो जेंडर इक्वैलिटी को बढ़ावा देता है। उनकी स्पीच ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा।


अन्य फिल्में और करियर:
हैरी पॉटर के बाद एम्मा ने The Perks of Being a Wallflower (2012), Beauty and the Beast (2017), और Little Women (2019) जैसी फिल्मों में अपने अभिनय का जादू बिखेरा। वो न सिर्फ एक्टिंग करती हैं, बल्कि मॉडलिंग और फैशन की दुनिया में भी सक्रिय हैं। उनकी स्टाइल इतनी क्लासिक और एलिगेंट है कि वो रेड कार्पेट पर हमेशा छा जाती हैं।


पर्सनल लाइफ:
एम्मा अपनी निजी जिंदगी को प्राइवेट रखना पसंद करती हैं। वो किताबों की शौकीन हैं और अपने बुक क्लब, Our Shared Shelf, के जरिए फेमिनिस्ट लिटरेचर को प्रमोट करती हैं। वो सस्टेनेबल फैशन की भी हिमायती हैं और अक्सर इको-फ्रेंडली कपड़े पहनती नजर आती हैं।


मजेदार और चुलबुले फैक्ट्स Emma Watson के बारे में। : - 

हरमायनी बनने का 'जादू':
एम्मा को हरमायनी का रोल इसलिए मिला क्योंकि वो ऑडिशन में इतनी उत्साहित थीं कि बिना रुके सारी लाइन्स बोल गईं। डायरेक्टर डेविड येट्स ने कहा, “ये लड़की तो हरमायनी का जीता-जागता रूप है!” सचमुच, वो किताबों से निकली हरमायनी थीं!


नन्हा क्रश का किस्सा:
हैरी पॉटर के सेट पर एम्मा को टॉम फेल्टन (जो ड्रेको मालफॉय बने) पर थोड़ा-सा क्रश था। हाय, ड्रेको के उस स्मirk का जादू तो कोई भी झेल नहीं पाता, है ना?


बुशी भौहें और ब्यूटी:
बचपन में एम्मा अपनी भौहों से इतनी परेशान थीं कि वो उन्हें शेव करना चाहती थीं। लेकिन शुक्र है, मम्मी ने मना कर दिया, और आज वही भौहें उनकी सिग्नेचर स्टाइल हैं!


पेरिस की 'फ्रेंच' कनेक्शन:
फ्रांस में जन्मी एम्मा फ्रेंच बोल सकती हैं, और उनका नाम “Watson” भी फ्रेंच मूल का है। तो अगली बार अगर आप पेरिस में हों, तो शायद एम्मा से फ्रेंच में गप्पे मार सकें!


नो मेकअप, नो प्रॉब्लम:
एम्मा ने एक बार इंटरव्यू में कहा कि वो मेकअप के बिना भी कॉन्फिडेंट फील करती हैं। और क्यों न करें? वो तो नेचुरल ब्यूटी की मिसाल हैं!हॉगवॉर्ट्स की टॉपर:
सेट पर एम्मा अपनी पढ़ाई में इतनी मेहनती थीं कि बाकी कास्ट उन्हें “टॉपर हरमायनी” बुलाते थे। डैनियल रैडक्लिफ और रूपर्ट ग्रिंट तो उनके नोट्स मांग-मांगकर परेशान करते थे!


डांसिंग क्वीन?:
Beauty and the Beast की शूटिंग के लिए एम्मा ने वॉल्ट्ज डांस सीखा, लेकिन वो कहती हैं कि वो डांस फ्लोर पर उतनी ग्रेसफुल नहीं हैं जितनी स्क्रीन पर दिखती हैं। फिर भी, बेल की वो ड्रेस और डांसिंग तो लाजवाब थी!


बुकवर्म की बुक क्लब:
एम्मा इतनी बड़ी बुकवर्म हैं कि उन्होंने Our Shared Shelf नाम का बुक क्लब शुरू किया। वो फैंस के साथ ऑनलाइन किताबें डिस्कस करती हैं। अगर आप भी किताबी कीड़ा हैं, तो उनकी लिस्ट चेक करें!


'जादू' की छड़ी का राज:
हैरी पॉटर की शूटिंग के दौरान एम्मा की जादू की छड़ी कई बार गायब हो जाती थी। वो सेट पर इधर-उधर भूल जाती थीं, और क्रू को ढूंढने में पसीने छूट जाते थे।


सुपर स्मार्ट स्टूडेंट:
ब्राउन यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान एम्मा ने अपनी स्टारडम को छुपाने की कोशिश की, लेकिन उनके प्रोफेसर्स और क्लासमेट्स को जल्दी पता चल गया कि ये वही हरमायनी है! फिर भी, वो अपनी पढ़ाई में टॉप पर रहीं।


एम्मा का जादू:
एम्मा वॉटसन सिर्फ एक एक्ट्रेस नहीं, बल्कि एक इंस्पिरेशन हैं। चाहे वो हॉगवॉर्ट्स में जादू की छड़ी घुमाएं या दुनिया भर में जेंडर इक्वैलिटी की बात करें, उनका अंदाज हमेशा दिल जीत लेता है। तो, अगली बार जब आप हैरी पॉटर देखें, तो हरमायनी के उस स्मार्ट स्माइल को थोड़ा और गौर से देखना, क्योंकि वो एम्मा का जादू है! 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

जीवन में कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो - सामूहिक गीत | jivan me kuch karna hai to man ke maare mat baitho - Samuhik geet

प्रेरणा गीत / सामूहिक गीत जीवन में कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो । आगे-आगे बढ़ना है तो, हिम्मत हारे मत बैठो ॥ चलने वाला मंजिल पाता, बैठा पीछे रहता है । ठहरा पानी सड़ने लगता, बहता निर्मल होता है पाँव मिले हैं चलने के खातिर, पाँव पसारे मत बैठो जीवन में कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो । आगे-आगे बढ़ना है तो, हिम्मत हारे मत बैठो ॥ तेज दौड़ने वाला खरहा, दो पाँव चलकर हार गया । धीरे-धीरे चलता कछुआ, देखो बाजी मार गया चलो कदम से कदम मिलाकर, दूर किनारे मत बैठो  आगे-आगे बढ़ना है तो, हिम्मत हारे मत बैठो ॥ धरती चलती तारे चलते, चाँद रात भर चलता है । किरणों का उपहार बांटने, सूरज रोज निकलता है हवा चले तो महक बिखरे, तुम भी ठाले मत बैठो आगे-आगे बढ़ना है तो, हिम्मत हारे मत बैठो ॥ जीवन में कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो । आगे-आगे बढ़ना है तो, हिम्मत हारे मत बैठो ॥

तृप्ति डिमरी की जीवनी - Tripti dimri ki jivni in Hindi

तृप्ति डिमरी ने अपने फिल्मी करियर में अपनी पहचान बनाने के लिए कई संघर्ष किए हैं। उनकी खासियत है कि वे प्रामाणिक और भावनात्मक रूप से गहरी भूमिकाओं को प्राथमिकता देती हैं। यहां उनकी जीवनी के कुछ और पहलू दिए गए हैं। प्रारंभिक जीवन तृप्ति का जन्म 23 फरवरी 1994 को हुआ। उनका परिवार उत्तराखंड से है, लेकिन उनका पालन-पोषण दिल्ली में हुआ। बचपन से ही उन्हें अभिनय और कला के प्रति रुचि थी। वे न केवल पढ़ाई में बल्कि सह-पाठयक्रम गतिविधियों में भी सक्रिय थीं। करियर की शुरुआत पोस्टर बॉयज (2017): इस फिल्म में तृप्ति का किरदार छोटा था, लेकिन उन्होंने अपने अभिनय कौशल से ध्यान आकर्षित किया। लैला मजनू (2018): इम्तियाज अली द्वारा प्रस्तुत इस फिल्म में तृप्ति ने लैला का किरदार निभाया। उनकी मासूमियत और गहराई से भरी अदाकारी ने दर्शकों का दिल जीत लिया। बुलबुल (2020): नेटफ्लिक्स की इस फिल्म ने तृप्ति के करियर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। इसमें उन्होंने एक रहस्यमय और सशक्त महिला का किरदार निभाया। प्रसिद्धि और प्रशंसा तृप्ति को उनकी फिल्मों के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं। फिल्मफेयर ...

रश्मिरथी - वर्षों तक वन में घूम-घूम कविता - रामधारी सिंह दिनकर

वर्षों तक वन में घूम-घूम, बाधा-विघ्नों को चूम-चूम,   सह धूप-घाम, पानी-पत्थर, पांडव आये कुछ और निखर। सौभाग्य न सब दिन सोता है, देखें, आगे क्या होता है। मैत्री की राह बताने को, सबको सुमार्ग पर लाने को, दुर्योधन को समझाने को, भीषण विध्वंस बचाने को, भगवान् हस्तिनापुर आये, पांडव का संदेशा लाये। 'दो न्याय अगर तो आधा दो, पर, इसमें भी यदि बाधा हो, तो दे दो केवल पाँच ग्राम, रक्खो अपनी धरती तमाम। हम वहीं खुशी से खायेंगे, परिजन पर असि न उठायेंगे! दुर्योधन वह भी दे ना सका, आशिष समाज की ले न सका, उलटे, हरि को बाँधने चला, जो था असाध्य, साधने चला। जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है। हरि ने भीषण हुंकार किया, अपना स्वरूप-विस्तार किया, डगमग-डगमग दिग्गज डोले, भगवान् कुपित होकर बोले- 'जंजीर बढ़ा कर साध मुझे, हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे। यह देख, गगन मुझमें लय है, यह देख, पवन मुझमें लय है, मुझमें विलीन झंकार सकल, मुझमें लय है संसार सकल। अमरत्व फूलता है मुझमें, संहार झूलता है मुझमें। 'उदयाचल मेरा दीप्त भाल, भूमंडल वक्षस्थल विशाल, भुज परिधि-बन्ध को घेरे हैं, मैनाक-मेरु पग मेरे हैं। दिप...