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जून, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

नरक के बीच खड़ा वो 23 वर्षीय जवान

"वो 23 साल का था। वो कोई बच्चा नहीं था, वो नरक के बीचों-बीच खड़ा एक इंसान था।" 12 अप्रैल 1945। जापान के ऊपर उड़ते एक B-29 बॉम्बर विमान में सवार थे सार्जेंट हेनरी एर्विन। काम बिल्कुल यांत्रिक था — धुएं वाले बम गिराना ताकि हवाई हमला सही दिशा में हो सके। लेकिन तभी, कुछ गड़बड़ हो गई। एक बम वापस उछलकर विमान के अंदर ही फट गया... और सीधा एर्विन के चेहरे से टकराया। उस धमाके ने उनकी आंखों की रोशनी छीन ली, नाक उड़ा दी, और चमड़ी को हड्डियों तक जला दिया। पूरे विमान में धुआं भर गया। पायलट को कुछ दिख नहीं रहा था। विमान गिर रहा था — बेकाबू, धधकता हुआ। वो पल एक उड़ते हुए ताबूत जैसा था। और फिर... असंभव को हकीकत बना दिया एर्विन ने। अंधे, जलते चेहरे और असहनीय पीड़ा से टूटे शरीर के साथ, एर्विन नीचे झुके... और नंगी हथेलियों से उस जलते बम को उठाया। उन्हें अपने साथियों को बचाना था। धीरे-धीरे, इंच दर इंच, घिसटते हुए जबकि उनकी चमड़ी पिघल रही थी और धुआं उन्हें घुटन दे रहा था। वे नेविगेटर की मेज से टकरा गए। रुकना मुमकिन नहीं था। उन्होंने एक हाथ से बम को ऊपर उठाया... और उसे अपनी ही छाती से भ...

इंसुलिन के खोज की कहानी

कल्पना कीजिए—1922 का एक मद्धम, सन्नाटा भरा अस्पताल वार्ड। बिस्तरों की कतारें, जिन पर बच्चे लेटे हैं—अधिकतर बेहोश, उनके दुर्बल शरीर डायबिटिक कीटोएसिडोसिस की गिरफ्त में। हवा में निराशा ठहरी हुई है। माता-पिता चुपचाप अपने बच्चों के पास बैठे हैं, नींद से सूनी आँखें, बस अंत की प्रतीक्षा में। कोई इलाज नहीं था। केवल भूखा रखकर मौत को कुछ दिन या हफ्तों के लिए टालना। फिर, कुछ असाधारण हुआ। वैज्ञानिकों की एक टीम वार्ड में दाखिल हुई—फ्रेडरिक बैंटिंग, चार्ल्स बेस्ट, जेम्स कॉलिप और जॉन मैक्लियोड—अपने हाथों में एक नई, अनदेखी दवा की शीशियां लिए हुए: इंसुलिन। वे एक-एक करके बिस्तर दर बिस्तर गए, बच्चों को इस नाजुक सी उम्मीद का इंजेक्शन लगाने लगे। जब वे अंतिम बच्चे तक पहुँचे, तभी कमरे में कुछ हिला। पहला बच्चा, जिसे इंसुलिन दी गई थी, ने आँखें खोलनी शुरू कीं। फिर दूसरा। फिर एक और। सन्नाटा टूटने लगा। आहें, आँसू, और फिर अविश्वास से भरी खुशियों की आवाजें उठने लगीं। कोमा से बच्चे बाहर आने लगे। पीले गालों पर गुलाबी रंग लौट आया। जो कमरा पहले शोक में डूबा था, वहां अब उम्मीद की लौ जल उठी। वो क्षण केवल एक ...

टिमोथी ट्रेडवेल और एमी हुगेनार्ड की मौत की कहानी

अक्टूबर 2003 में, अलास्का के कटमाई नेशनल पार्क में टिमोथी ट्रेडवेल और उनकी गर्लफ्रेंड एमी हुगेनार्ड की मौत हो गई। उन्हें उन ही ग्रिज़ली भालुओं ने मार डाला और आंशिक रूप से खा लिया, जिनकी रक्षा के लिए टिमोथी ने अपना जीवन समर्पित कर दिया था। टिमोथी हर गर्मियों में 13 साल तक भालुओं के बीच कैंप करते थे। उन्हें लगता था कि उनका इन जंगली जानवरों से एक खास रिश्ता है। वे उनसे बात करते थे जैसे वे उनके दोस्त हों, और बिना किसी डर के बहुत करीब चले जाते थे। इस बार, वो और एमी गर्मियों के बाद ज्यादा देर तक वहां रुके। उस समय भालू ज़्यादा भूखे और आक्रामक हो जाते हैं क्योंकि उन्हें सर्दियों की नींद (hibernation) के लिए खाना जमा करना होता है। 5 अक्टूबर की रात, एक भालू उनके टेंट में घुस आया और हमला कर दिया। उस समय टिमोथी का कैमरा गलती से चालू हो गया था, लेकिन उस पर लेंस कैप लगी हुई थी, इसलिए वीडियो नहीं बना — केवल आवाज़ रिकॉर्ड हुई। ये रिकॉर्डिंग करीब 6 मिनट लंबी है। उस ऑडियो में टिमोथी की चीखें सुनाई देती हैं। वह एमी से कह रहे हैं, "भाग जाओ, भागो!" लेकिन एमी नहीं भागती। वह टिमोथी को ब...

Emma Watson की जीवनी: एक जादुई सफर

एम्मा चार्लोट ड्यूएर वॉटसन (Emma Charlotte Duerre Watson) का जन्म 15 अप्रैल 1990 को पेरिस, फ्रांस में हुआ। उनके माता-पिता, जैकलीन और क्रिस वॉटसन, दोनों वकील थे। पांच साल की उम्र में उनका परिवार इंग्लैंड के ऑक्सफोर्डशायर चला गया, जहां एम्मा ने अपनी शुरुआती पढ़ाई की। छोटी सी उम्र में ही उन्हें एक्टिंग का कीड़ा काट चुका था। स्कूल के नाटकों में हिस्सा लेते-लेते वो हॉगवॉर्ट्स की दुनिया में पहुंच गईं! हैरी पॉटर और स्टारडम: 9 साल की उम्र में एम्मा ने "हैरी पॉटर" सीरीज में हरमायनी ग्रेंजर का रोल ऑडिशन देकर हासिल किया। 2001 में Harry Potter and the Philosopher’s Stone रिलीज हुई, और बस, दुनिया को मिल गई एक नई चहेती जादूगरनी! अगले एक दशक तक, आठ फिल्मों में हरमायनी के किरदार ने एम्मा को ग्लोबल स्टार बना दिया। उनकी स्मार्टनेस, टैलेंट और वो “It’s LeviOsa, not LeviosA” वाला अंदाज फैंस के दिल में बस गया। शिक्षा और एक्टिविज्म: एम्मा सिर्फ एक्टिंग तक सीमित नहीं रहीं। उन्होंने ब्राउन यूनिवर्सिटी और ऑक्सफोर्ड से इंग्लिश लिटरेचर में डिग्री हासिल की। साथ ही, वो एक मुखर फेमि...

हादसे कितनी तेजी से हो जाते है ...

16 फरवरी 2009 को, चार्ला नैश की ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल गई, जब वह स्टैमफोर्ड, कनेक्टिकट में अपनी पुरानी दोस्त सैंड्रा हेरोल्ड से मिलने गईं। सैंड्रा के पास ट्रैविस नाम का 14 साल का चिंपैंजी था, जिसे उसने अपने घर में एक इंसानी बच्चे की तरह पाला था। उस दिन ट्रैविस असामान्य रूप से चिड़चिड़ा था—शायद किसी बीमारी या दवा के कारण। जब चार्ला ने उसे शांत करने की कोशिश की, और उसका पसंदीदा खिलौना टिकल-मी एल्मो दिया, तो हालात अचानक भयावह हो गए। बिना किसी चेतावनी के, ट्रैविस ने हमला कर दिया—चार्ला को ज़मीन पर गिरा दिया और उसके चेहरे और हाथों को बुरी तरह नोच डाला। हमला इतना भयानक था कि जब आपातकालीन सेवाएँ पहुंचीं, तो उन्हें लगा कि चार्ला मर चुकी है। ट्रैविस ने उसकी नाक, होंठ, पलकों और हाथों को चीर दिया था, और दृश्य इतना भयावह था कि अनुभवी पैरामेडिक्स भी कांप उठे। सैंड्रा ने घबराहट में एक रसोई के चाकू से ट्रैविस को मारा और 911 पर फोन कर मदद की गुहार लगाई, जबकि चिंपैंजी हमला करता रहा। जब पुलिस पहुंची, तो ट्रैविस उन पर झपटा और उसे गोली मार दी गई। चमत्कारी रूप से, चार्ला बच गईं, हालांकि उनकी ...