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ये देश है वीर जवानों का - देशभक्ति गीत | Ye desh hai veer jawano ka - deshbhakti geet

ये देश है वीर जवानों का अलबेलों का मस्तानों का इस देश का यारों क्या कहना, ये देश है दुनिया का कहना यहाँ चौड़ी छाती वीरों की, यहाँ भोली शक्लें हीरों की यहाँ गाते हैं राँझे मस्ती में, मस्ती में धूमें बस्ती में पेड़ों पे बहारें झूलों की, राहों में कतारें फूलों की यहाँ हँसता है सावन बालों में, खिलती हैं कलियाँ गालों में कहीं दंगल शोख जवानों के, कहीं करतब तीर कमानों के यहाँ नित नित मेले सजते हैं, नित ढोल और ताशे बजते हैं दिलबर के लिये दिलदार हैं हम, दुश्मन के लिये तलवार हैं हम मैदा में अगर हम डट जाएं, मुश्किल है कि पीछे हट जाएं. ये देश है वीर जवानों का अलबेलों का मस्तानों का इस देश का यारों क्या कहना, ये देश है दुनिया का कहना

मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती - देशभक्ति गीत | Mere desh ki dharti sona ugle - Deshbhakti geet

मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती मेरे देश की धरती बैलों के गले में जब घुँघरू जीवन का राग सुनाते हैं गम कोसो दूर हो जाता है खुशियों के कंवल मुस्काते हैं सुन के रहट की आवाजें यूँ लगे कहीं शहनाई बजे आते ही मस्त बहारों के दुल्हन की तरह हर खेत सजे मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती .... मेरे देश की धरती जब चलते हैं इस धरती पे हल ममता अँगड़ाइयाँ लेती है क्यों ना पूजें इस माटी को जो जीवन का सुख देती है इस धरती पे जिसने जन्म लिया उसने ही पाया प्यार तेरा यहाँ अपना पराया कोई नहीं हैं सब पे है माँ उपकार तेरा मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती मेरे देश की धरती ये बाग हैं गौतम नानक का खिलते हैं अमन के फूल यहाँ गांधी, सुभाष, टैगोर, तिलक ऐसे हैं चमन के फूल यहाँ रंग हरा हरिसिंह नलवे से रंग लाल है लाल बहादुर से रंग बना बसंती भगतसिंह से रंग अमन का वीर जवाहर से मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती मेरे देश की धरती

ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आँख में भर लो पानी लिरिक्स -सामूहिक गीत | e mere watan ke logo jara aankh me bhar lo pani lyrics - Samuhik geet

ऐ मेरे वतन के लोगों, तुम खूब लगा लो नारा. ये शुभ दिन है हम सब का लहरा लो तिरंगा प्यारा  पर मत भूलो सीमा पर वीरों ने है प्राण गँवाए कुछ याद उन्हें भी कर लो, 2 जो लौट के घर न आए. • 2 ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आँख में भर लो पानी जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुरबानी,  तुम भूल न जाओ उनको, इस लिये सुनो ये कहानी, जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुरबानी जब घायल हुआ हिमालय, खतरे में पड़ी आजादी जब तक थी साँस लड़े वो 2,फिर अपनी लाश बिछा दी संगीन पे धर कर माथा, सो गये अमर बलिदानी जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुरबानी जब देश में थी दीवाली, वो खेल रहे थे होली जब हम बैठे थे घरों में, वो झेल रहे थे गोली थे धन्य जवान वो अपने, थी धन्य वो उनकी जवानी जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुरबानी कोई सिख कोई जाट मराठा -2, कोई गुरखा कोई मदरासी- 2 सरहद पर मरने वाला -2, हर वीर था भारतवासी जो खून गिरा पर्वत पर, वो खून था हिंदुस्तानी जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुरबानी थी खून से लथपथ काया, फिर भी बन्दूक उठाके दस-दस को एक ने मारा फिर गिर गये होश गँवा के जब अन्त-समय आया तो 2 कह गए के अब मरते हैं खुश रहना

हिन्द देश के निवासी, सभी जन एक है - सामूहिक गीत | Hind desh ke nivasi sabhi jan ek hai - Samuhik geet

हिन्द देश के निवासी सभी जन एक है, रंग रूप वेश भाषा चाहे अनेक हैं । बेला गुलाब जूही चम्पा चमेली, प्यारे-प्यारे फूल गूँथे माला में एक है। हिन्द देश के निवासी सभी जन एक है, रंग रूप वेश भाषा चाहे अनेक हैं । कोयल की कूक न्यारी, पपीहे की टेर प्यारी, गा रही तराना बुलबुल, राग मगर एक है । हिन्द देश के निवासी सभी जन एक है, रंग रूप वेश भाषा चाहे अनेक हैं । गंगा-जमना, ब्रह्मपुत्र, कृष्णा, कावेरी, जाके मिल गई सागर में हुई सब एक है । हिन्द देश के निवासी सभी जन एक है, रंग रूप वेश भाषा चाहे अनेक हैं ।

जीवन में कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो - सामूहिक गीत | jivan me kuch karna hai to man ke maare mat baitho - Samuhik geet

प्रेरणा गीत / सामूहिक गीत जीवन में कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो । आगे-आगे बढ़ना है तो, हिम्मत हारे मत बैठो ॥ चलने वाला मंजिल पाता, बैठा पीछे रहता है । ठहरा पानी सड़ने लगता, बहता निर्मल होता है पाँव मिले हैं चलने के खातिर, पाँव पसारे मत बैठो जीवन में कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो । आगे-आगे बढ़ना है तो, हिम्मत हारे मत बैठो ॥ तेज दौड़ने वाला खरहा, दो पाँव चलकर हार गया । धीरे-धीरे चलता कछुआ, देखो बाजी मार गया चलो कदम से कदम मिलाकर, दूर किनारे मत बैठो  आगे-आगे बढ़ना है तो, हिम्मत हारे मत बैठो ॥ धरती चलती तारे चलते, चाँद रात भर चलता है । किरणों का उपहार बांटने, सूरज रोज निकलता है हवा चले तो महक बिखरे, तुम भी ठाले मत बैठो आगे-आगे बढ़ना है तो, हिम्मत हारे मत बैठो ॥ जीवन में कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो । आगे-आगे बढ़ना है तो, हिम्मत हारे मत बैठो ॥

किसी के काम जो आए उसे इंसान कहते हैं - प्रेरणा गीत / सामूहिक गीत | kisi ke kaam jo aaye use insan kehte hai - samuhik geet

प्रेरणा गीत / सामूहिक गीत किसी के काम जो आए उसे इंसान कहते हैं । पराया दर्द अपनाए उसे इंसान कहते हैं । कभी धनवान है कितना कभी इंसान निर्धन हैं । कभी दुःख है कभी सुख है इसी का नाम जीवन हैं । जो मुश्किल से न घबराए उसे इंसान कहते हैं । पराया दर्द........... ये दुनिया एक उलझन है, कहीं धोखा कहीं ठोकर । कोई हँस-हँस के जीता है कोई जीता है रो-रोकर । जो गिरकर फिर संभल जाए उसे इंसान कहते हैं। पराया दर्द......... अगर गलती रुलाती है तो राहें भी दिखाती हैं। मनुज गलती का पुतला है जो अक्सर हो ही जाती है। जो करले ठीक गलती को उसे इंसान कहते हैं । पराया दर्द ......... यों भरने को तो दुनिया में पशु भी पेट भरते हैं । लिए इंसान का दिल जो वे ही परमार्थ करते हैं । मनुज जो बांटकर खाए उसे इंसान कहते हैं । पराया दर्द ............

हे स्वर की देवी माँ वाणी में मधुरता दो - प्रार्थना | He svar ki devi maa vani me madhurta do - Prarthana

हे स्वर की देवी माँ वाणी में मधुरता दो। हम गीत सुनाते हैं, संगीत की शिक्षा दो । हे स्वर की देवी माँ वाणी में मधुरता दो। अज्ञान ग्रसित होकर, क्या गीत सुनायें हम। टूटे हुए शब्दों से, क्या स्वर को सुनाएं हम | दो ज्ञान राग माँ तुम, वाणी में मधुरता दो । हे स्वर की देवी माँ वाणी में मधुरता दो। सरगम का ज्ञान नहीं, शब्दों में सार नहीं । तुम्हें आज सुनाने को, मेरी मैया कुछ भी नहीं । संगीत समन्दर से, स्वर ताल हमें दे दो । हे स्वर की देवी माँ वाणी में मधुरता दो। भक्ति ना शक्ति है, शब्दों का ज्ञान नहीं । तुम्हे आज सुनाने को, मेरी मैया कुछ भी नहीं । गीतों के खजाने से, एक गीत हमें दे दो । हे स्वर की देवी माँ वाणी में मधुरता दो। हम गीत सुनाते हैं, संगीत की शिक्षा दो । हे स्वर की देवी माँ वाणी में मधुरता दो।