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मत बाँटों इंसान को - सामुहिक गीत

मत बाँटों इंसान को - सामुहिक गीत

मन्दिर, मस्जिद, गिरजाघर में बाँट दिया भगवान को
धरती बाँटी, सागर बाँटा, मत बाँटों इंसान को ।


अभी राह तो शुरू हुई है, मंजिल लेकिन दूर है
उजियाला महलों में बंदी, हर दीपक मजबूर है 
मिला न सूरज का संदेशा, हर घाटी-मैदान को
धरती बाँटी, सागर बाँटा .....


अब भी हरी-भरी धरती है, ऊपर नील-वितान है

पर न प्यार हो तो जग सूना, जलता रेगिस्तान है 
अभी प्यार का जल देना है, हर जलती चट्टान को

धरती बाँटी, सागर बाँटा .....


साथ उठें सब तो पहरा हो, सूरज का हर द्वार पर
हर उदास आनन आ जाये, खिलती हुई बहार पर
रौंद न पाएगा फिर कोई, जीवन की मुस्कान को
धरती बाँटी, सागर बाँटा ............



Don't Divide Insan Ko - Group Song

God divided into temple, mosque, church
Divided the earth, divided the ocean, don't divide the human beings.


The journey has just begun, but the destination is far away
Prisoner in Ujiala palaces, every lamp is helpless
Didn't get the message of the sun, every valley-plain
Earth divided, ocean divided.....


There is still a green earth, there is a blue sky above

But if there is no love then the world is empty, it is a burning desert
Now the water of love has to be given to every burning rock

Earth divided, ocean divided.....


Get up together everyone is guarded, at every door of the sun
May every sad moment come to the blossoming spring
No one will be able to trample the smile of life
Divided the earth, divided the sea.

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