एक राजा के दरबार में एक बुद्धिमान मंत्री था, जिसके पास हर समस्या का हल था. राजा अपने इस मंत्री से बिना पूछे कोई भी बड़ा फैसला नहीं लेता था. इस मंत्री से राज दरबार के अन्य लोग जलन रखते थे.
एक दिन राजदरबार में राजा ने अपने इस मंत्री से कहा, तुम इतने बुद्धिमान हो लेकिन तुम्हारा बेटा तो बेहद मूर्ख है! राजा की ये बात मंत्री को अच्छी नहीं लगी और मंत्री ने राजा से पूछा, महाराज! आप ऐसा क्यों बोल रहे हैं, आखिर आपको ऐसा क्यों लगता है कि मेरा बेटा मूर्ख है?
राजा ने कहा, मैं रोज सुबह जब जनता से मिलने के लिए जाता हूं तो वहां पर तुम्हारा बेटा भी होता है और मैं रोज तुम्हारे बेटे से ये पूछता हूं कि सोना और चांदी में से कौन सी चीज सबसे ज्यादा कीमती है? तुम्हारा बेटा हर बार चांदी ही कहता है. राजा की ये बात सुनकर दरबार में मौजूद लोग मंत्री पर हंसने लगे और मंत्री को बुरा लगा.
मंत्री बिना कुछ कहे अपने घर वापस आ गया और घर आते ही मंत्री ने अपने बेटे से पूछा- सोने और चांदी में क्या मूल्यवान है? बेटे ने फौरन जवाब देते हुए कहा- पिताजी, सोना ! मंत्री ने बेटे से कहा, तुम्हें जब पता है कि सोना कीमती धातु है तो तुम क्यों राजा को गलत जवाब देते हो और चांदी को कीमती धातु कहते हो?
बेटे ने कहा- पिताजी, राजा रोज सुबह बाजार में आकर प्रजा से मिलते हैं और रोज मुझे बुलाकर मेरे सामने 2 सिक्के रखते हैं, जिनमें से एक चांदी का होता है और एक सोने का सिक्का रखकर राजा मेरे से पूछते हैं कि जो इन दोनों में से अधिक कीमती चीज है, वो तुम ले जाओ और मैं चांदी का सिक्का उठा लेता हूं. ये देखकर राजा हंसते हैं और चले जाते हैं.
मंत्री ने अपने बेटे से पूछा, तो तुम क्यों रोज चांदी का सिक्का उठा लेते हो? अब पूरा दरबार मेरा मजाक उड़ा रहा है. मंत्री की बात सुन बेटा उन्हें अपने कमरे में ले गया और वहां पर उसने एक पेटी खोली. पेटी चांदी के सिक्कों से भरी हुई थी. इतनी सारी चांदी देखकर मंत्री हैरान हो गया.
बेटे ने कहा- पिताजी, जो सिक्के राजा मुझे देते हैं, ये सब वही हैं. जिस दिन मैंने राजा को सही उत्तर दे दिया, राजा मुझसे ये सवाल पूछना बंद कर देंगे और मुझे रोज एक सिक्का मिलना बंद हो जाएगा, ऐसा होने से मेरा नुकसान होगा.
अगले दिन मंत्री ने अपने बेटे की चतुराई राजा को बताई और राजा मंत्री के बेटे की चालाकी से बेहद ही प्रभावित हुआ.
हमेशा आंखों देखी और कानों सुनी बात सच नही होती।
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