बात तो मेरे भी खुश होने की थी, पर मैं खुश क्यों नहीं हो पा रही थी, कारण भी मैं जानती थी, अपनी बेस्ट फ्रेंड की शादी में जबसे उसके, भाई अरविंद को देखा, तबसे, दिलो दिमाग पर वही छाया हुआ था, उसका भी मुझे बार बार देखना, कहीं न कहीं मुझे बहुत खुशी दे रहा था, सच कहूं तो हमारी जोड़ी जैसे उपर से बनकर आई हो, ऐसी जोड़ी थी हमारी, मेरी सहेली भी मुझे चिढ़ाने लगी थी, जल्दी ही तुझे अपनी भाभी बनाकर लाऊंगी, थोड़ा इंतजार कर।
मैं तो मन ही मन कल्पनाओं में उसे अपना बना चुकी थी, दिन रात उसी के ख्यालों में गुम रहने लगी थी, ऐसे में राजीव के रिश्ते का आना मुझे बहुत विचलित कर रहा था, पर मम्मी पापा से कहती भी क्या? सहेली तो ब्याह कर सात समुंदर पार जा चुकी थी।
अगले दिन श्याम अंकल को पूरे परिवार के साथ
खाने पर बुलाया गया, आंटी, राजीव और उसकी छोटी बहन रीता आए, मुझे बुलाया गया, उचटती निगाह से राजीव को देखा, सामान्य शक्ल सूरत का, सामान्य कद काठी का, हंसमुख सा लडका था, मुझे लगा ये मेरे साथ कैसा लगेगा?, कहां मै सुंदर गोरी इतनी खूबसूरत, कहां वो बिल्कुल साधारण, इसीलिए अंकल ने पापा को बिना दहेज का लालच देकर प्रभावित कर लिया है,
मुझे और राजीव को कुछ समय के लिए अकेले छोड़ा गया, वो कुछ मुझसे पूछता रहा, मैं बस उनके जवाब देती रही , वो मेरा संकोच समझता रहा, और मैं सोचती रही, कब ये लोग जाएं।
मैं बहुत परेशान, सहेली का फोन नंबर भी नहीं, होता भी तो क्या बोलती? वक्त निकलने लगा, मैं मना भी नही कर पाई और शादी की तैयारियां होने लगी और मैं राजीव की दुलहन बनकर उनके घर आ गई। सभी मुझे बहुत प्यार करते पर अभी भी मैं राजीव की अपने सहेली के भाई से बराबरी करती और उसे हर बात में नीचा ही पाती, पर वो खुशी खुशी मेरे नखरे, चिड़चिड़ाहट भी हंसकर बरदाश्त कर लेता,
हम मुंबई आ गए, जहां राजीव की पोस्टिंग थी, राजीव ने बहुत प्यारा फ्लैट लिया था, सारी सुविधाओं से भरपूर घर था, मेड आकर घर का सारा काम कर जाती, मुझे कोई भी परेशानी नहीं थी, हर वीक एंड में हम घूमने, शॉपिंग के लिए जाते, ऊपर से तो मैं खुश रहने की एक्टिंग करती पर अंदर से मैं खुश होकर भी पूरी तरह खुश नहीं रह पाती
वक्त गुजरा और मैं दो नन्हें शैतानों की मां बन गई, अब दिनचर्या थोड़ी व्यस्त रहने लगीं, पर राजीव, अभी भी वैसा ही था, हर काम में मेरी मदद करना, हर ख्वाइश पूरी करना, वाकई बहुत अच्छा इंसान है, मैं भी सोचने पर मजबूर हो जाती,
मम्मी पापा का फोन आया, छोटे भाई की शादी थी, मम्मी ने थोड़ा जल्दी आने को कहा, जिससे उनकी थोड़ी मदद कर पाऊं, काफी समय से जा नहीं पाई थी , तो मैं भी बहुत खुश होकर तैयारियों में जुट गई, भाई भाभी के लिए गिफ्ट, मम्मी पापा, सासू मां ससुर जी सबके लिए गिफ्ट ली, राजीव ने खूब खुश होकर शानदार शॉपिंग करवाई।
हम घर पहुंचे, बच्चे दादा दादी से मिले, मम्मी ने कहा, " राजीव बहू को मम्मी पापा के घर ले जाओ। वहां ज्यादा जरुरत है बहू की, वो लोग बेकरारी से राह ताक रहे होंगे" मैं घर पहुंची, सब बहुत खुश हो गए, मम्मी सारी गिफ्ट दिखा रहीं, जो नई बहू के लिए ली थीं, सारा दिन बस इसी में निकल गया, शाम की फ्लाइट से राजीव चले गए, छुट्टियां कम थीं तो शादी के समय ही आने वाले थे वो।
रात को खाने के समय मम्मी ने बताया, तुम्हारी सहेली विदेश से आई है , एक दिन बाजार में मिली थी, न जानें क्यों मेरा मन सहेली के घर जाने को व्याकुल हो उठा, उसके घर के नंबर पर फोन किया, और दूसरे दिन उसके घर आने की सूचना भी दे दी।
कुछ अजीब सा महसूस कर रही थी, फिर भी जाना चाहती थी, जैसे ही उसके घर पहुंची, जोर जोर से चिल्लाने, झगड़ने की आवाज़ आने लगी, अंदर धीरे से कदम रखा तो देखा, सहेली के जिस भाई के लिए मैं दीवानी रही, अपनी खूबसूरत जिंदगी , अपने इतने प्यार करने वाले पति को कमतर समझती रही, वो अपनी बीबी से झगड़ा कर रहा था, माता पिता से बदसलूकी कर रहा था, मुझे देखकर अर्थपूर्ण सी हंसी हंसा, उपर से नीचे देखने का इतना गन्दा ढंग था की वहां खड़ा रहना भी मेरे लिए दूभर हो गया,
मैं उल्टे पांव अपने घर की तरफ भागी, मुझे अपनी किस्मत पर अपने पति पर फख्र महसूद हो रहा था, सिर्फ लुक्स, स्मार्टनेस देखना ही काफ़ी नहीं, एक अच्छा इंसान और अच्छी सोच , अच्छा चरित्र होना भी बहुत जरुरी है, ईश्वर के सामने खड़ी अपनी गलतियों की माफी मांग रही हूं, जिसने मुझे गलत होने से बचाया, और राजीव जैसा समझदार पति दिया।
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