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तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहे न रहे




तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहे न रहे


ध्येय साधना अमर रहे।

ध्येय साधना अमर रहे।


अखिल जगत को पावन करती

त्रस्त उरों में आशा भरती

भारतीय सभ्यता सिखाती

गंगा की चिर धार बहे।


इससे प्रेरित होकर जन-जन

करे निछावर निज तन-मन-धन

पाले देशभक्ति का प्रिय प्रण

अडिग लाख आघात सहे।


भीती न हमको छू पाये

स्वार्थ लालसा नहीं सताये

शुद्ध ह्नदय ले बढते जायें

धन्य-धन्य जग आप कहे।


जीवन पुष्प चढा चरणों पर

माँगे मातृभूमि से यह वर

तेरा वैभव अमर रहे माँ।

हम दिन चार रहें न रहे।


dhyeya sadhana amar rahe .

dhyeya sadhana amar rahe .


akhil jagat ko pavan karti

trast uron men aasha bharati

bharatiya sabhyata sikhati

ganga ki chir dhar bahe .


isse prerit hokar jan - jan

kare nichhavar nij tan - man - dhan

pale deshbhakti ka priy pran

adig lakh aaghat sahe .


bheeti n hmako chhu paye

swarth lalsa nahi sataye

shuddh hnday le badhate jayen

dhany - dhany jag aap kahe .


jivan pushp chadha charanon par

mange matrabhumi se yah var

tera vaibhav amar rahe ma .

hum din char rahen n rahe .

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