स्टॉकहोम सिन्ड्रोम: - 'स्टॉकहोम सिंड्रोम' नाम मिला था स्टॉकहोम में 23 अगस्त 1973 को जब पैरोल पर छूटे एक अपराधी जान-एरिक ओल्सन ने अपने साथियों को लेकर क्रेडिटबैंकन बैंक में अपने दोस्त क्लार्क ओलोफ़सन को जेल से रिहा करवाने के लि डकैती की थी और उस दौरान उसने चार बैंक कर्मचारियों (तीन महिलाएँ और एक पुरुष) को बंधक बना लिया था। डकैत ने बंधकों के साथ अच्छा बर्ताव किया था और उन्हें अपनी मजबूरी बताई थी, इन 6 दिनों में डकैत और बंधकों के बीच भावनात्मक संबंध बन गए थे, ये भी एक ब्रेन वॉश गेम था जो डकैतों ने काम में लिया था। रिहा होने के बाद, कुछ बैंक कर्मचारियों ने अदालत में बैंक लुटेरों के खिलाफ गवाही देने से इनकार कर दिया बल्कि उनके बचाव के लिए धन भी जुटाया था। घटना की जांच कर रहे एक अपराध विज्ञानी और मनोचिकित्सक ने कुछ बैंक कर्मचारियों द्वारा बैंक लुटेरों के प्रति दिखाए गए लगाव को दर्शाने के लिए "स्टॉकहोम सिंड्रोम" शब्द का विकास किया। स्टॉकहोम सिंड्रोम का मूल ये है कि दुर्व्यवहारकर्ता के साथ मिलकर काम करके और उसके खिलाफ लड़ने के बजाय, पीड़ित अपनी सुरक्षा सुनिश्चित...
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