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जुलाई, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

प्रेरक प्रसंग - मूर्ख बगुला और नेवला (एक शिक्षाप्रद कहानी)

बहुत समय पहले की बात है। एक घना जंगल था। उस जंगल के एक विशाल वटवृक्ष की खोल (तने के अंदर) में बहुत से बगुले रहते थे। यह वृक्ष नदी के किनारे स्थित था, इसलिए बगुलों को भोजन और पानी की कोई कमी नहीं थी। वे सुख-शांति से अपने परिवार के साथ रहते थे। लेकिन उसी वटवृक्ष की जड़ों में एक काला, क्रूर साँप भी अपना बिल बनाकर रहता था। वह अत्यंत चालाक और हिंसक था। जब भी बगुलों के अंडों से बच्चे निकलते, वह साँप चुपचाप बिल से निकलता और बगुले के नन्हें बच्चों को खा जाता। यह दृश्य बार-बार दोहराया जाता रहा, जिससे बगुले अत्यंत दुःखी और परेशान हो गए। इनमें से एक बूढ़ा बगुला तो इस दुख से इतना व्यथित हो गया कि उसने भोजन करना छोड़ दिया और एक दिन उदास होकर नदी किनारे बैठ गया। उसकी आँखों में आँसू थे और चेहरा चिंता से मलिन था। उसी समय वहीं पास में एक केकड़ा पानी से बाहर निकला। उसने बगुले की यह हालत देखी और पूछा, “मामा! क्या बात है? आज इतने दुःखी क्यों हो? आँखों में आँसू क्यों हैं?” बगुला बोला, “भैया! दुःख की बात यह है कि हर बार जब मेरे बच्चे पैदा होते हैं, तभी यह दुष्ट साँप उन्हें खा जाता है। मैं बहुत प...

प्रेरक प्रसंग - संभावना - कहानी टायर बनाने वाले इंसान की

1830 में, एक व्यक्ति चार्ल्स गुडईयर अकेला एक जेल की कोठरी में बैठा था — किसी अपराध के लिए नहीं, बल्कि इसलिए क्योंकि वह अपने कर्ज नहीं चुका पाया था। दुनिया उसे एक असफल व्यक्ति मानती थी। लेकिन चार्ल्स कुछ और देख रहा था — संभावना। वह एक अजीब, चिपचिपे पदार्थ — प्राकृतिक रबर — को लेकर जुनूनी हो चुका था। उस समय यह लगभग बेकार था। गर्मियों में पिघलता था, सर्दियों में फटता था, और किसी भी जरूरी काम के लिए भरोसेमंद नहीं था। लेकिन चार्ल्स को विश्वास था कि इसमें कुछ और है। जेल की चारदीवारी के भीतर भी, उसने प्रयोग करना नहीं छोड़ा। उधार के औज़ारों और कबाड़ से वह दिन-रात काम करता रहा। 1839 में, अनगिनत नाकामियों के बाद, एक दिन उसने गलती से रबर और सल्फर का मिश्रण एक गर्म चूल्हे के पास गिरा दिया — और यही बना उसका सबसे बड़ा आविष्कार। नतीजा था: वल्केनाइज़्ड रबर — लचीला, मजबूत और मौसमरोधी। पहली बार, रबर का उपयोग जूतों, मशीनों और अंततः… टायरों में किया जा सका। 1844 में उसने इस प्रक्रिया का पेटेंट कराया, लेकिन दौलत की जगह मिली मुकदमेबाज़ी और नकल करने वालों की भरमार। उसे पैसे नहीं मिले। उसकी पत्नी ...

प्रेरक प्रसंग - एक पुरानी कहानी

एक राजा को राज करते काफी समय हो गया था।उसके बाल भी सफ़ेद होने लगे थे।एक दिन उसने अपने दरबार में उत्सव रखा और अपने मित्र देश के राजाओं को भी सादर आमन्त्रित किया व अपने गुरुदेव को भी बुलाया। उत्सव को रोचक बनाने के लिए राज्य की सुप्रसिद्ध नर्तकी को भी बुलाया गया। राजा ने कुछ स्वर्ण मुद्रायें अपने गुरु जी को भी दी, ताकि नर्तकी के अच्छे गीत व नृत्य पर वे भी उसे पुरस्कृत कर सकें। सारी रात नृत्य चलता रहा। ब्रह्म मुहूर्त की बेला आई, नर्तकी ने देखा कि मेरा तबले वाला ऊँघ रहा है और तबले वाले को सावधान करना ज़रूरी है, वरना राजा का क्या भरोसा दंड दे दे। तो उसको जगाने के लिए नर्तकी ने एक *दोहा* पढ़ा - ...✍ *"घणी गई थोड़ी रही, या में पल पल जाय।*  *एक पलक के कारणे, युं ना कलंक लगाय।"* ...✍ अब इस *दोहे* का अलग-अलग व्यक्तियों ने अपने अनुरुप अर्थ निकाला।  तबले वाला सतर्क होकर तबला बजाने लगा।  ...✍ जब यह दोहा गुरु जी ने सुना तो गुरुजी ने सारी मोहरें उस नर्तकी को अर्पण कर दी। ...✍ दोहा सुनते ही राजकुमारी ने  भी अपना नौलखा हार नर्तकी को भेंट कर दिया। ...✍ दोहा सुनते ही राजा के...

हेनरी ओलंगा - साहस की कहानी

शोरगुल से भरे क्रिकेट स्टेडियम में जब एक नौजवान तेज गेंदबाज दौड़ता है, तो उसके कदमों की गूंज सिर्फ ज़मीन पर नहीं, एक पूरे मुल्क के दिल में सुनाई देती है। अफ्रीका की धूल भरी ज़मीन पर पैदा हुआ एक लड़का, जिसकी त्वचा तो काली थी पर दिल उम्मीदों से उजला। नाम था हेनरी ओलोंगा। ज़िम्बाब्वे का वो पहला काला खिलाड़ी, जिसने सिर्फ क्रिकेट ही नहीं खेला, बल्कि अपने देश की राजनीतिक व्यवस्था के खिलाफ आवाज़ भी उठाई। लेकिन इससे पहले कि वो एक 'हीरो' बना, वो एक 'क्रिकेटर' था — और क्या शानदार गेंदबाज़! हेनरी ओलोंगा का जन्म 3 जुलाई 1976 को ज़ाम्बिया में हुआ था, लेकिन उनका क्रिकेटिंग करियर ज़िम्बाब्वे से जुड़ा। 1995 में उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया, और इसी के साथ वो ज़िम्बाब्वे के लिए खेलने वाले पहले अश्वेत खिलाड़ी बन गए। उनकी गेंदबाज़ी में रफ्तार थी, स्विंग था और जोश भी बेहिसाब था। वो ऐसे गेंदबाज़ थे जो विरोधी टीम के बल्लेबाजों की आँखों में आँखें डालकर खेलते थे। 1998 में भारत, श्रीलंका और ज़िम्बाब्वे के बीच शारजाह में कोका कोला कप खेला जा रहा था। भारत की...